Home / Uncategorized / क्या दहेज़ के बिना शादी नहीं हो सकती?
आज के ज़माने में दहेज़ एक फैशन बन गया है, हर इंसान दहेज़ लेने की चाह रखने लग गया है । मेरा नाम राहुल है और मैं इलाहाबाद का रहने वाला हूँ। यह कहानी मेरी शादी की है जिसमे दहेज़ ने काफी मुश्किलें पैदा कर दी थी। मैंने अपनी इंजीनियरिंग की पढाई दिल्ली से की थी, कॉलेज के दिनों में मुझे ऋचा नाम की एक लड़की बहुत पसंद आने लगी थी । बड़ी हिम्मत करके मैंने उसे प्रोपोज़ किया तो उसने भी हाँ कर दी, देखते ही देखते कॉलेज खत्म हो गया और हम दोनों को ही अच्छी जॉब भी मिल गयी। हम दोनों की जॉब दिल्ली में थी जिससे हम बेहद खुश थे और शादी करने का मन बना रहे थे । नौकरी के एक साल बाद ऋचा के पेरेंट्स शादी के लिए उस पर ज़ोर डालने लगे।
ज़ोर डालने पे उसने अपने पेरेंट्स को मेरे बारे में बताया, और उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलवाया । उन्होंने मुझसे कहा की उन्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं है अब तुम अपने पेरेंट्स से बात कर लो और सभी मिल लेंगे । मैंने भी जल्दी ही अपने पेरेंट्स से इस बात को बताने का मन बनाया, हालाँकि मुझे पता था मेरे पेरेंट्स मेरी बात पर ना नहीं कहेंगे।
लेकिन मेरे पेरेंट्स ने मुझे यह कह कर झटका दे दिया की तुम्हारी शादी के लिए 20 लाख के रिश्ते आ रहे हैं इसके पेरेंट्स कितना देंगे । उन्होंने ये स्पष्ट बता दिया की शादी तो दहेज़ लेकर ही होगी । मैं ऋचा को खोना भी नहीं चाहता था लेकिन अपने पेरेंट्स की ज़िद्द के आगे मज़बूर भी था । मैंने ऋचा को सारी बात बताई तो ऋचा ने कहा की उसके पेरेंट्स दहेज़ देकर शादी के लिए कभी हाँ नहीं करेंगे। वो दहेज़ के खिलाफ हैं, भाई की शादी में भी नहीं लिया था और दहेज़ की मांग हुयी तो वो शादी से इंकार कर देंगे। ऋचा ने कहा की पिताजी को समझाओ लेकिन मैं जनता था की इसका कोई फायदा नहीं होगा इसलिए मैंने इस समस्या का हल खुद ही निकाला।
मैंने सोंचा दो काबिल इंसान जो नौकरी कर रहे हैं वो अपनी शादी अपने पैसो से तो कर सकते हैं लेकिन मेरे पेरेंट्स को यह बात पसंद नहीं आती और मैं ऋचा के बिना अपनी ज़िन्दगी सोंच भी नहीं सकता था इसलिए मैंने फैसला किया की अपने पेरेंट्स को बताये बिना मैं पैसे ऋचा को दे दूंगा इससे मेरे पेरेंट्स की दहेज़ वाली शर्त पूरी हो जाएगी और ऋचा के पेरेंट्स को भी ये बात पता नहीं चलेगी । अगले ही दिन मैंने बैंक से 15 लाख का एक पर्सनल लोन ले लिया और अकाउंट में रखे अपने 5 लाख रूपये मिलाकर सारे पैसे ऋचा के भाई अरुण के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए और अगले दिन उसके भैया ने सारे पैसे मेरे पिताजी को दे दिए। अरुण ने पिताजी को बताया की उसके पिता हमेशा से दहेज़ के खिलाफ थे और उन्हें इस बात का पता नहीं चलना चाहिए।
नौकरी वाली बहु ,20 लाख ही दहेज और ऋचा के पेरेंट्स द्वारा दिए जाने वाले बहुत सारे गिफ्ट्स से मेरे पेरेंट्स बेहद खुश थे । वे खुश इसलिए थे की अब समाज में उनका मान बढ़ जाएगा । आज के इस समाज में लोगों का मानना है की दहेज़ नहीं मिली तो समाज में उनका सम्मान कम हो जायेगा। जो भी मैंने किया उसकी वजह से ऋचा और मैं एक हो गए, हम दोनों के ही पेरेंट्स भी बहुत खुश हो गए ।
लेकिन अपनी ख़ुशी के लिए अपने पेरेंट्स से झूठ बोलकर मैंने सही किया या गलत आज भी ये सवाल मेरे मैं को कचोटता है? आप ही बताइये…..
चित्र स्त्रोत: pixabay, maharaniweddings
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