Home / Uncategorized / दो बच्चों के बीच सही उम्र का फासला
बच्चे के जन्म के साथ ही अनेक रिश्तों का जन्म भी होता है। लेकिन एक बच्चे को सबसे करीबी रिश्ता उसके माता-पिता के बाद अपने भाई या बहन से ही मिलता है। लेकिन दो बच्चों के बीच सही उम्र का फासला क्या हो सकता है, इस बारे में कोई ठोस सलाह अभी तक नहीं दे पाया है। आइये इन पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए इस बात पर विचार करें:
जब माता-पिता की पहली और दूसरी संतान में दो वर्ष का या इससे कम का अंतर होता है तो यह सबसे कम उम्र का फासला माना जाता है। आमतौर पर इस प्रकार के फासले में पहले बच्चे की उम्र एक वर्ष या उससे कम की होती है जब दूसरे बच्चे का प्रसव काल शुरू हो जाता है। इस अवस्था में पहले बच्चे को पालने और दूसरे बच्चे के गर्भ में होने के कारण माँ की शारीरिक और एमोशनल जरूरतें बढ़ जातीं हैं। कामकाजी महिलाओं को विशेषकर बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
लेकिन इस अवस्था में सबसे अधिक फायदे की बात यह होती है की दूसरे बच्चे के प्रसव के बाद, दोनों बच्चों की देखभाल एक साथ और एक ही प्रकार से की जा सकती है। दोनों बच्चों की हर प्रकार की जरूरत लगभग एक जैसी होने के कारण, माता-पिता अधिक सरलता से अपनी ज़िम्मेदारी निभा सकते हैं।
जब दो बच्चों की उम्र में दो से चार वर्ष का अंतर होता है तो उम्र का यह फासला न तो अधिक कम होता है और न ही अधिक होता है। इस अवस्था में माँ एक बच्चे के लालन-पालन के शुरुआती दौर से गुज़र कर मुक्त हो चुकी होती है। दूसरे बच्चे के जन्म के समय माँ काफी हद तक शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप को तैयार करने में समर्थ होती है। प्रसव के बाद दोनों बच्चों को सम्हालना अधिक कठिन नहीं होता है। कुछ समय बाद दोनों बच्चे एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त बन सकते हैं।
कभी-कभी दो बच्चों के बीच चार वर्ष या इससे अधिक की उम्र का फासला भी देखा जाता है। इस स्थिति में लाभ यह होता है की माँ दूसरे बच्चे की परवरिश बहुत अच्छी तरह से कर सकती है। पहला बच्चा स्कूल जाने वाला होता है और कुछ स्थितियों में तो माँ की मदद भी करते हैं।
अधिकतर देखा गया है की इस प्रकार दोनों बच्चे एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। बड़ा बच्चा अपने अनुभव के आधार पर छोटे बच्चे की देखभाल करने में खुद को गौरव महसूस करता है। छोटा बच्चा भी अपने बड़े भाई-बहन की छत्रछाया में आपको सुरक्शित महसूस करता है।
लेकिन कुछ स्थितियों में बड़ा बच्चा, अपने माता-पिता के बंटते प्यार और ध्यान को सह नहीं पाता है। लेकिन यह स्थिति भी माता-पिता समझदारी से सम्हाल लेते हैं।
निष्कर्ष यह है की दो बच्चों के बीच जन्म का फासला क्या होना चाहिए, इस बारे में कोई ठोस सलाह नहीं दी जा सकती है। यह निर्णय तो पति-पत्नी की आपसी सलाह और इच्छा पर निर्भर करता है। इसके साथ ही पति-पत्नी की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक और पारिवारिक स्थिति को भी निर्णय लेते समय ध्यान में रखा जा सकता है।
Image Source: whereyounow, timesofindia, atishay jain, cutenewbaby
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