Home / Uncategorized / मैंने अपने पति को परमेश्वर समझा…..
जब मेरी शादी हो रही थी तो माँ ने सिर्फ यही बात बार-बार कही – बेटा अपने पति की सेवा करना, उनके आगे मत बोलना, बहस लड़ाई को बढ़ाती है और पति को परमेश्वर की तरह पूजना |
सब वही बातें जो हर माँ अपनी बेटी को समझाती है जब वो किसी दूसरे घर का एहम हिस्सा बनती है | उन्ही अच्छी बातों से मैंने अपनी नयी ज़िन्दगी की शुरुवात की लेकिन नहीं पता था कि वो सूरज की नयी किरण नहीं बल्कि अँधेरा था.. घनघोर अँधेरा ! शादी से पहले हमारी 4 मुलाक़ात हुई लेकिन उसने मुझसे ज्यादा बात नहीं की | मुझे लगा कि शायद कम बोलते हैं | 3 बहनों के बाद हुए, इसलिए माँ-बाप ने हर इच्छा पूरी की, लाड प्यार ने चीज़ें इतनी खराब कर दी कि एडजस्टमेंट शब्द का मतलब तक नहीं पता था इन्हे |
शादी के कुछ दिन तो सब फिर ठीक था लेकिन उस वक़्त भी कई बार वो अचानक से आक्रोश में आ जाना, मुझे परेशान करने लगा | लेकिन शादी के एक कुछ महीनों बाद तो चीज़ें ऐसी बदल गयी कि विश्वास करना मुश्किल हो गया | कोई काम बोला तो उसी पल होना चाहिए | और अगर नहीं हुआ तो झोली में आती थी गालियाँ | वो भी सिर्फ मुझे नहीं, मेरे परिवार को- जिनको पता भी नहीं मेरे साथ क्या हो रहा है | कभी-कभी तो ऐसा लगता था जैसे गुस्सा करने के लिए इन्हे किसी कारण की जरुरत ही नहीं |
खाना परोसते हुए एक रोटी दो, तो कहते मुझे एक रोटी देती हैं, सारा तू ठूस लें | अगर एक साथ 2 रोटी दो तो कहते डंगर हूँ क्या, सारी एक साथ डाल देगी |
कभी कभी तो इतना गुस्सा आ जाता कि कण्ट्रोल करना मुश्किल हो जाता | शक करने की आदत भी हर वक़्त परेशान करती | माँ-बाप से मिलने नहीं देना | अगर कभी मैं मायके जाने की बात करती तो कहते वापिस मत आना, वही दिल ज्यादा लगता हैं तेरा |उन्हें गालियाँ देना और पता नहीं क्या-क्या ! माँ बोलती ज़रा दामाद जी से बात कराना और हर बार मैं किसी ना किसी तरह टाल देती ताकि उन्हें कुछ ना पता चलें |
एक दिन मैं अपनी मम्मी से बात कर रही थी, गुस्से में कमरे में आये और मेरा हाथ झटक के बोले
“बस पूरे दिन अपनी माँ के साथ बात करती रहा कर.. मेरा बस यही कहने की देर थी कि 1 महीने बाद अब बात कर रही हूँ कि बिना सोचे समझे शुरू हो गए “जबान मत लड़ाओ, पैर की जूती हो, वही बन के रहो, सर का ताज नहीं | बस उसी वक़्त पापा की याद आ गयी “तू तो मेरी राजकुमारी हैं, कोई शहज़ादा ही आएगा तुझे लेने !
सब सहती रही लेकिन वो बात रह-रह कर याद आती रही -पति परमेश्वर होता हैं !
ऐसे पति को कैसे परमेश्वर मानू ! दुनिया में भगवान का दर्जा किसी इंसान को कभी नहीं देना चाहिए | क्योंकि कई बार जो औरतें अपने पति को भगवान समझने लगती हैं तो उनके पति अपने आप को सच-मुच भगवान समझने लगते हैं और सोचते मेरी बात को कभी नहीं टाला जा सकता | पति की इज़्ज़त करना और उसे परमेश्वर समझना- दोनों बिलकुल अलग बात हैं | मैंने तो कई साल अपने पति को परमेश्वर समझ के काट दिए
लेकिन आपकी राय जरूर जानना चाहूँगी कि आप क्या सोचते है ?
चित्र स्त्रोत –Wedding, US news health,wettinhappen,youtube
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