Home / Uncategorized / हार्ट सर्जरी से पहले जानिए कुछ बेहद ज़रूरी बातें
हृदय शरीर में सबसे अधिक और महत्वपूर्ण काम करने वाली मांसपेशी है। लगातार काम करते हुए शरीर की नसों में रक्त प्रवाह को चलाते रहने वाले हृदय को भी कभी कभी कुछ मदद की ज़रूरत पड़ती है। यह स्थिति तब आती है जब हृदय की प्राकृतिक कार्यप्रणाली में किसी तरह से कुछ व्यवधान आ जाता है और इसके लिए चिकित्सकीय मदद की जरूरत पड़ती है।
उदाहरण के लिए कोरोनरी धमनी में होने वाली गड़बड़ी जिसमें हृदय को पर्याप्त रक्त न मिलने के कारण एंज़ाइना दर्द और कभी कभी हृदयघात जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। रक्त के प्राकृतिक प्रवाह में यह अवरोध इस धमनी की दीवारों पर फैट की परत जमने के कारण होता है, जिसे एथेरोमा भी कहा जाता है। इस ब्लोकेज़ के कारण होने वाली असुविधा और दर्द को ही चिकित्सकीय भाषा में एंज़ाइना पेन कहा जाता है। एथेरोमा में जमी हुई प्लाक की दरारों में अगर खून का थक्का बन जाता है तो इससे धमनी में और ज्यादा अवरोध उत्पन्न हो जाने के कारण हृदय को ज़रूरत के मुताबिक रक्त नहीं मिल पाता। इस कारण हृदय की कोई एक मांसपेशी या तो कुछ हद तक या पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है और फलस्वरूप हार्ट अटैक आ जाता है। यह सब वह स्थितियाँ हैं जब तुरंत डॉक्टर की सलाह और मदद की आवश्यकता होती है। अगर आप को भी हृदय संबंधी कोई दिक्कत आ रही है तो ये जानकारी आपके लिए बहुत काम की हो सकती है।
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आम तौर पर हृदय की बीमारी में कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और कोरोनरी धमनी की बाईपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है। आइये संक्षेप में आपको बताते हैं क्या हैं हृदय की बीमारी के इलाज़।
कोरोनरी धमनी की दीवारों पर जमा फैट को साफ करके रक्त प्रवाह के लिए रास्ता बनाने की प्रक्रिया है। कोरोनरी एंजियोप्लास्टी में कोरोनरी धमनियों में अवरोधों के प्रकार और ब्लोकेज़ के आधार पर “स्टेंट” नामक उपकरण का प्रयोग भी किया जाता है। स्टेंट ट्यूब जैसे होते हैं जिन्हें धमनी के बंद हिस्से में सटीक रूप से फिट किया जाता है ताकि उसे दोबारा खोल के रक्त प्रवाह को नियमित किया जा सके।
इसके साथ साथ कुछ स्थितियों में एंज्योग्राम टेस्ट करने के बाद चिकित्सक आपको कोरोनरी बाइपास सर्जरी करवाने की सलाह दे सकता है जिसे ओपन हार्ट सर्जरी भी कहा जाता है। जिसमें लगभग पूरी तरह से बंद आर्टरी के कुछ हिस्सों को बाइपास करके रक्त का प्रवाह नियमित किया जाता है।
किसी एक खराब वॉल्व को ठीक करने की प्रक्रिया है। इसमें खराब वॉल्व को या तो बदल दिया जाता है या रिपेयर किया जाता है। इसी तरह से पेसमेकर सर्जरी में भी हृदय के प्राकृतिक पेसमेकर को जो धड़कनों को नियंत्रित करता है उसे या तो बदल दिया जाता है या रिपेयर करा जाता है ।
धमनियों में अवरोध की स्थिति कम होने पर केवल दवा द्वारा भी हृदय को ठीक तरह से काम करने की अवस्था में रखा जा सकता है।
इसके अलावा कुछ नवीनतम चिकित्सा टेकनीक्स में फ्रेकशनल फ्लो रेसर्व (एफ एफ आर), ड्रग एल्यूडिंग स्टंट (डी ई एस), ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्रेफी (ओ सी टी) वेसेल क्लोज़र डिवाइस (वी सी डी) प्रमुख हैं।
किसी भी प्रकार की सर्जरी के बाद आपको कुछ घंटों के लिए इंटैन्सिव केयर में रखा जाता है और उसके बाद चिकित्सक आपको दवाओं और ज़रूरी एहतियात की जानकारी के साथ घर भेज देते हैं। नियमपूर्वक दवा और सही आहार (Heart Patient Diet in Hindi) के साथ आप बहुत कम समय में भी अच्छी तरह से रिकवर हो सकते हैं। हालांकि उन सभी स्थितियों के लिए जो एक हृदय के मरीज के लिए अलार्मिंग हैं आपको हमेशा सतर्क रहना होगा और तुरंत अपने चिकित्सक को मिलना चाहिए, जैसे कि सांस घुटना, दम फूलना, सीने में दर्द, सर्जरी के घावों में सूजन, और बार बार आने वाला बुखार इत्यादि।
चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के बाद आज हृदय की सर्जरी कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है क्यूंकि पहले की तुलना में ज्यादातर लोग हृदय की रोगपूर्ण स्थितियों से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। आपके हृदय रोग की पूरी जानकारी, उचित आहार, दवाओं का सेवन और वो सभी चीज़ें जो आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं उनसे बचाव करने से किसी के लिए भी पूरी तरह से ठीक होना काफी आसान हो गया है।
चित्र स्त्रोत: pexels, Wikimedia Commons, pixart theindiantelegraph.com.au
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