Home / Women Health Tips in Hindi / हाइपरथायरॉइडिस्म के कारण और लक्षण
हाइपरथायरॉइडिस्म एक ऐसी अवस्था है जिसमें, थाइरोइड ग्रंथि / ग्लैंड अत्यधिक मात्रा में थाइरोइड हॉर्मोन्स उत्पादित करता है। थाइरोइड ग्लैंड हमारे शरीर में, एक तितली के आकर का ग्लैंड है जो की गर्दन के एकदम निचले हिस्से पर, कॉलरबोन के ठीक ऊपर टिका हुआ है। हालांकि यह काफी छोटा है, यह शरीर के विकास और मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित करता है। यह शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स और फैट की मात्रा का प्रयोग, ह्रदय गति और प्रोटीन्स के उत्पादन, शरीर का तापमान, रक्त में कैल्शियम की रिहाई आदि को नियंत्रित करता है।
जब थाइरोइड ग्लैंड साधारण से अधिक काम करता है, यह अत्यधिक मात्रा में मेटाबॉलिज़्म को बढ़ावा देता है जिसकी वजह से इंसान का वज़न अचानक कम समय में घट जाता है, उसके दिल की धड़कन अनियमित या तेज़ हो जाती है जैसे की एक मिनट में 100 से ज़्यादा हार्ट बीटस और अचानक से घबराहट हो जाती है और तेज़ पसीना छूटने लगता है। आम तौर पर, जिनकी उम्र 60 वर्ष की उम्र से अधिक की होती है और खास कर की औरतें, हाइपरथायरॉइडिस्म का शिकार होतीं हैं। लेकिन, जब यह अवस्था जवान लोगों में पाई जाये, इसकी शुरुआत अचानक ही हो जाती है।
हालांकि ह्यपरथीरोइडिस्म होने का सबसे सामान्य और मुख्य कारण ग्रेव्स डिसीज़ हैं, ये कई अन्य कारणों की वजह से भी होता है।
1 ) ग्रेव्स डिसीज़ :
ग्रेव्स डिसीज़ एक ऑटोइम्म्यून विकार है जिसमें एंटीबॉडीज़ गलती से तिरिद ग्लैंड पर वार करते हैं, इस कारणवश थाइरोइड ग्लैंड सामान्य से कई ज़्यादा मात्रा में थाइरोइड हॉर्मोन का उत्पादन करता है। विशेषज्ञों का यह मानना है की आनुवंशिक स्वाभाव इस विकार का एक प्रमुख कारण है। यह ज़्यदातर 40 साल से कम आयु की महिलाओं में पाया जाता है, खास कर की उन महिलाओं में जो स्मोकिंग करती हैं।
2 ) सामान्य से अधिक मात्रा में आयोडीन का सेवन :
थाइरोइड ग्लैंड खून में शामिल आयोडीन का इस्तेमाल थाइरोइड हॉर्मोन को बनाने के लिए करता है। जब भी खून में सामान्य से अधिक मात्रा में आयोडीन मौजूद होता है, तब थाइरोइड हॉर्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है और इस कारणवश हाइपरथायरॉइडिस्म होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
3 ) हाइपरएक्टिव थाइरोइड नोड्यूल्स :
यह एक ऐसी अवस्था है, जिसमें थाइरोइड ग्लैंड का एक हिस्सा अपने आपको बाकी हिस्सों से अलग कर लेता है और सौमयगाठों में परिवर्तित हो जाता है जिसकी वजह से थाइरोइड ग्लैंड फूल कर और बड़ा हो जाता है। ये अलग हुए हिस्से अडेनोमास कहलाते हैं। जब एक या ज़्यादा अडेनोमास ज़रुरत से ज़्यादा थाइरोइड हॉर्मोन उत्पादित करने लगते हैं, इस कारणवश हाइपरथायरॉइडिस्म की अवस्था होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
4 ) थायरॉइडायटिस :
जब थाइरोइड ग्लैंड फूल जाता है, तब स्टोर किये हुए थाइरोइड हॉर्मोन खून में रिहा हो जाते हैं और इस कारणवश शरीर में थाइरोइड हॉर्मोन की संख्या बढ़ जाती है। थायरॉइडायटिस के तीन प्रकार हैं -थायरॉइडायटिस , सुबाक्यूट ग्रानुलोमाटोस थायरॉइडायटिस जो एक दुर्लभ और ज़्यादा दर्दनाक अवस्था है और पोस्टपार्टम थायरॉइडायटिस।
5 ) दवाईयां :
कुछ ऐसी दवाईयां, जो की ह्रदय रोग और बाइपोलर विकारों का इलाज करने के लिए इस्तेमाल होती हैं, इनमें आयोडीन की मात्रा काफी अधिक होती हैं और कोई भी व्यक्ति जो इन दवाईयों को ले रहा हो, उसे अपने थाइरोइड स्तर की जाँच नियमित रूप से करनी चाहिए।
6 ) थाइरोइड कैंसर :
थाइरोइड कैंसर का होना, ओवरएक्टिव थाइरोइड ग्लैंड की एक और वजह हो सकती है। इस अवस्था में घातक सेल्स सामान्य से अधिक मात्रा में थाइरोइड हॉर्मोन का उत्पादन करते हैं।
इन कारणों के अलावा, ओवरीज़ (अंडाशय) और टेस्ट्स (वृषण) में ट्यूमर की वजह से भी हाइपरथायरॉइडिस्म होने की सम्भावना रहती है।
हाइपरथायरॉइडिस्म का निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण अन्य बिमारियों से मिलते-जुलते होते हैं। और जिन अवस्थाओं में हाइपरटेंशन का इलाज करने के लिए जहाँ बीटा ब्लॉकर्स का प्रयोग होता है तब ये लक्षण छिपे रहते हैं और आसानी से सामने नहीं आ पाते। लेकिन फिर भी ऐसे कई और लक्षण हैं जिनकी वजह से हाइपरथायरॉइडिस्म का निदान हो सकता है।
ग्रेव्स ऑप्थलमोपथी विषेशतः फैली हुई आँखों की पुतलियां, लाल और सूजी हुई आँखें, आँखों में बेचैनी, आँखों का कम घूमना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और दोहरी दृष्टि का होना
अनुपचारित हाइपरथायरॉइडिस्म के जटिल परिणाम हो सकते हैं जैसे नाज़ुक नाख़ून, बालों का झड़ना, आँखों से सम्बंधित परेशानियां, ह्रदय रोग और तिरोटोक्सिक क्राइसिस। क्योंकि इस अवस्था का दवायाईयों से और ज़्यादा सीरियस अवस्था में सर्जरी से उपचार हो सकता है, हाइपरथायरॉइडिस्म के निदान के पश्च्यात इसका तुरंत उपचार करना उचित है।
चित्र स्त्रोत : Wikimedia Commons and Pixnio
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