Home / Women Health Tips in Hindi / क्या हैं पेट के कैंसर के कारण और शुरुवाती लक्षण?
पेट का कैंसर आज सबसे ज्यादा होने वाले और जानलेवा रोगों में से तीसरे नंबर पर है। आनुवांशिक कारणों के साथ-साथ अव्यवस्थित जीवनशैली और गलत खान पान को इस रोग का मुख्य कारण माना जाता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों का इस रोग की चपेट में आने का अनुपात अधिक है। पेट के कैंसर को मेडिकल साइंस की भाषा में गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है। यह असामान्य और विकृत कोशिकाओं का एक ढेर है जो एक साथ इकट्ठा होकर एक ग्रंथि का आकार ले लता है और फिर वहीं से फैलने लगता है। पेट के अंदर इस तरह की वृद्धि सबसे अंदर की तरफ की कोशिकाओं में होती है और फिर धीरे धीरे अन्य हिस्सों में फैलने लगती है जैसे कि आँतें, यकृत, भोजन नली इत्यादि। पेट के कैंसर के लगभग नब्बे प्रतिशत मामलों में एडीनोकार्सिनोमास नामक प्रकार देखा जाता है। जबकि इसके तीन और प्रकार लिम्फोमा, गैस्ट्रोइंटेस्टिनल स्ट्रोमल ट्यूमर और कार्सिनोइड ट्यूमर हैं जिनके मरीजों का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम देखने को मिलता है।
Table of Contents
चिकित्सा विज्ञान में पेट के कैंसर के बारे में कोई स्पष्ट कारण आजतक नहीं है लेकिन आनुवांशिक कारणों के अलावा गलत जीवन शैली को इस कैंसर के ज़्यादातर मामलों का मुख्य कारण माना जाता है। इनमें प्रमुख हैं-
इस संक्रमण का कारण एक ऐसा बैक्टीरिया है जो पेट की अंदरूनी सतह पर एक चिपचिपी परत के अंदर रहता है। किन्हीं कारणों से इस में संक्रमण होने और लंबे समय तक बने रहने की वजह से सूजन और अल्सर जैसी स्थिति हो जाती है और यह घाव कैंसर में बदल सकते हैं।
पेट के कैंसर की संभावना बहुत अधिक धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में बढ़ जाती है। सिगरेट के साथ साथ बहुत अधिक शराब पीने या अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ अध्यनों में यह बात भी सामने आई है कि पेट के इर्दगिर्द बढ़ा हुआ मोटापा अन्य बीमारियों के साथ साथ पेट के कैंसर को भी जन्म दे सकता है। हालांकि यह क़ैसर के मुख्य कारणों में से नहीं है और वैज्ञानिक रूप से इसकी पूरी तरह से पुष्टि होना बाकी है।
अधिक तले भुने तथा तेज़ मिर्च मसालेदार भोजन का नियमित सेवन और नमक की अधिक मात्रा प्रयोग करने से पेट का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। भुना हुआ और मसालेदार मांस मछ्ली तथा अचार आदि का नियमित सेवन भी इस खतरे को बढ़ाता है।
पेट के कैंसर के शुरुवाती लक्षण पहचान में नहीं आ पाते हैं या ये कहा जा सकता है कि शुरुवाती अवस्था में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं। और जब तक कैंसर के कारणों का पता चलता है तब तक यह अमूमन आगे बढ़ चुका होता है। आनुवांशिक कारणों के अलावा इस के शुरुवाती लक्षणों में प्रमुख हैं।
लगातार रहने वाला पेट दर्द इस बीमारी का संकेत हो सकता है। इस के साथ ही साथ यदि आपको खाने खाने के बाद अपच होने की समस्या भी होती हो और एक बड़े अंतराल में यदि आप को ऐसा लगे कि इन समस्याओं के साथ साथ आपकी भूख भी कम हो रही है तो आपको तुरंत चिकिसक को दिखाना चाहिए।
खाना खाने के बाद पेट में सूजन आना भी इस बीमारी का लक्षण होता है। इस के अलावा पेट के अंदर एक तरह का द्रव इकट्ठा होने से यदि पेट मे ढेले होने जैसा अनुभव होता हो तो यह बीमारी की बढ़ी हुई अवस्था का संकेत है।
पेट के कैंसर के रोगी को लगातार रहने वाली कमजोरी तथा थकान महसूस होती है। शरीर में ताकत कम रहती है तथा धीरे धीरे खून की कमी होने लगती है।
इस रोग के बढ़ने पर मल में खून आने के कारण उसका रंग काला सा हो जाता है जिसे चिकित्सकीय भाषा में मेलेना कहा जाता है।
इन में से कोई भी लक्षण लगातार होने पर आपको तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए। एक स्वस्थ जीवनशैली और उचित खानपान तथा व्यायाम से इस रोग से बचाव संभव है।
चित्र स्त्रोत: www.pixabay.com, https://commons.wikimedia.org, www.pxhere.com www.libreshot.com
COMMENTS (0)