Home / Uncategorized / दहेज़ प्रथा ने बदली पूजा की ज़िन्दगी
अच्छा लगता है ना एक लड़की की खुशाल ज़िन्दगी देख कर? ऐसा लगता है काश हमारी ज़िंदगी या हमारी बेटियों की ज़िंदगी भी इंद्रधनुष के सभी रंगो से भरी हो | पर आज से तीन साल पहले तक मेरी ज़िन्दगी ऐसी नहीं थी | कहते है की घर में आती हुई खुशियों को कभी नहीं ठुकराना चाहिए लेकिन अगर आने वाली ख़ुशी, ज़िन्दगी भर के दुख के स्टाम्प पेपर पर साइन करवाना चाहती हो तो इसे कभी नहीं स्वीकारना चाहिए |
जी, मेरे पापा मम्मी तो मानते थे कि दहेज़ लेना और देना एक रिवाज है जो हर माँ–बाप अपने बच्चों के लिए करते हैं लेकिन यहाँ मेरे ख़याल थोड़े अलग थे | मैं पढ़ी लिखी एक इंडिपेंडेंट लड़की हूँ और सबका ख़याल रखना मुझे अच्छे से आता है – ये सभी गुण मुझे मेरी माँ से मिले हैं | फिर क्यों देना चाहिए मुझे दहेज ?
ओह, मैं आपको अपने आप से मिलाना तो भूल ही गयी, मैं पूजा शर्मा, दिल्ली में पली बड़ी हूँ | आज मेरी शादी को ३ साल हो गए हैं और मैंने उस परिवार में शादी की है जिन्होंने मुझे माँगा, दहेज़ नहीं | पर ये सफर बिलकुल आसान नहीं था | ना ही मेरे लिए और ना ही मेरे परिवार वालों के लिए | कितने ताने, कितनी ज़िल्लत, कितनी बेज्जत्ती और कितने दर्द सहे हैं हम सबने | लेकिन कोशिश करने वालो की हार नहीं होती, लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती | अगर आपको किनारा चाहिए तो भॅवर में तो जाना ही पड़ेगा |
मेरे लिए 5 रिश्ते आये | कितनो ने तो पहले ही मुँह खोल के माँगा | लेकिन एक ऐसा रिश्ता आया जिसमे शुरुवात में तो सिर्फ यही सुनने को मिला-लड़की को दो जोड़ी में भेज दो, हमारे पास भगवान का दिया सब कुछ हैं | शादी में सिर्फ 24 दिन बचे थे की उसकी माँ का फ़ोन आया वो ड्रेसिंग टेबल और बैड कितने तक का लें?
मेरी माँ ने कहा बहनजी जैसा आपको अच्छा लगे उस पर उसकी माँ ने बोला -नहीं एक्चुअली हर एक का बजट होता हैं ना, अब आपका कितना हैं हमे नहीं पता | ये बात जब मुझे पता लगी तो मैंने साफ़ इंकार कर दिया की माँ ये वन टाइम पेमेंट नहीं हैं ये पूरी ज़िन्दगी की EMI हैं | मेरी चाची यहा तक कि मेरी मासियो ने भी मुँह बनाते हुए कहा लड़की को ज्यादा पढ़ा लिया आपने ?
शादी टूटने के एक साल बाद मुझे वही लड़का, अपनी बीवी और माँ के साथ शॉपिंग करते हुए मिले | आँख मिली तो ऐसा लगा जैसे कह रही हो “लड़कियों पर इतना घमंड नहीं जचता, खड़ी हो ना वही के वही !”
मैंने अपने मम्मी-पापा को समझाया कि बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख | अगर कोई अपनी ख़ुशी से आपको कुछ देता है तो वो अलग बात हैं, उसे व्यवहार कहते हैं लेकिन अगर कोई मांगे तो उसे लालच कहते हैं और लालच हमेशा बढ़ता हैं कभी कम नहीं होता | और मैंने शादी तोड़ दी – सोचिये जितना बोलना आसान है अगर करना भी उतना आसान होता तो ज़िन्दगी कितनी ईज़ी हो जाती |
लेकिन मैं आज बहुत खुश हूँ कि मुझे वो मिला जिसके लिए मैं लड़ी और आज मेरे माँ-बाप गर्व से कहते हैं कि भगवान सबको बेटी दे | इस ब्लॉग से मैं कुछ गलत या सही साबित नहीं करना चाहती बस अपनी कहानी आप तक पहुँचाना मेरा मकसद था, अगर दिल को छूई तो अपना प्यार दें |
चित्र स्त्रोत -Kowalke relationship caoching,good indian girl, IBTImes India,bollyspice.com,shadisaga
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